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Chardham Yatra 2025: चारधाम यात्रा में न करें ये 7 गलतियां, दर्शन के बाद भी नहीं मिलेगा ईश्वर का आशीर्वाद

gmedianews24( source) : हिंदू धर्म के चार प्रमुख धार्मिक स्थलों गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ की यात्रा 30 अप्रैल 2025 से शुरू हो रही है। इन धार्मिक स्थलों की यात्रा को चारधाम यात्रा कहा जाता है। यमुनोत्री से शुरू होकर यह यात्रा बद्रीनाथ के दर्शन के बाद समाप्त होती है। लाखों की संख्या में भक्त साल 2025 में चारधाम की यात्रा पर जाएंगे। हालांकि, यात्रा के दौरान कुछ नियम और सावधानियां भी भक्तों को बरतनी चाहिए। आज हम आपको इसी के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

चारधाम यात्रा में न करें ये गलतियां

माता-पिता की अनुमति- हिंदू धर्म में माता-पिता को ईश्वर तुल्य माना जाता है। इसलिए अगर आपके माता-पिता हैं तो यात्रा पर निकलने से पहले आपको उनकी अनुमति अवश्य लेनी चाहिए। बिना अभिभावकों की अनुमति के की गई यात्रा शुभ फलदायी नहीं मानी जाती।

खान-पान से जुड़े नियम- चारधाम यात्रा आध्यात्मिक और धार्मिक उन्नति के लिए की जाती है। इसलिए यात्रा के दौरान आपको तामसिक भोजन करने से बचना चाहिए। इस यात्रा के दौरान प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा से दूर ही रहें। अगर आप तामसिक पदार्थों का सेवन करते हैं तो धार्मिक यात्रा का कोई महत्व नहीं रह जाता।

व्यवहार की शुद्धता- धार्मिक यात्रा के दौरान आपको व्यवहार की शुद्धता बनाए रखनी चाहिए। किसी के साथ भी अपशब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और हर वक्त प्रभु का ध्यान मन में बनाए रखना चाहिए। गलत विचार आपकी धार्मिक यात्रा को निष्फल कर सकते हैं।

सांसारिक चीजों से दूरी- आज के समय में लोग धार्मिक स्थलों पर जाकर भी मोबाइल और फोन के जरिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं। लोगों का पूरा फोकस भक्ति की बजाय अपनी यात्रा की अपडेट लोगों को देना बन गया है। यह दिखावा करना धार्मिक स्थल पर अच्छा नहीं माना जाता। आध्यात्मिक उन्नति के लिए अगर आप चारधाम की यात्रा पर जा रहे हैं तो मोबाइल या किसी भी ऐसे यंत्र का इस्तेमाल न करें जो आपकी भक्ति और भावना को प्रभावित करे।

सूतक में न करें धार्मिक यात्रा- हिंदू धर्म के अनुसार यदि किसी के घर में किसी की मृत्यु हुई हो तो 12-13 दिन तक सूतक रहता है। सूतक काल के दौरान धार्मिक यात्रा करना वर्जित माना जाता है। ऐसा करने पर यात्रा का शुभ परिणाम आपको प्राप्त नहीं होता।

सही वस्त्रों का करें चुनाव- धार्मिक स्थलों पर विचारों की शुद्धता के साथ ही वस्त्र भी आपको सही तरीके के पहनने चाहिए। सबसे पहले तो आपके वस्त्र साफ सुथरे होने चाहिए और रंगों का चुनाव भी आपको धार्मिक चीजों को ध्यान में रखते हुए करना चाहिए।

अत्यधिक वार्तालाप न करें- हिंदू धर्म में मौन को ईश्वर तक पहुंचने का मार्ग कहा जाता है। इसलिए धार्मिक यात्रा के दौरान आपको अत्यधिक वार्तालाप करने से बचना चाहिए। मौन रहकर प्रभु का ध्यान करने से धार्मिक यात्रा बेहद शुभ फलदायक हो जाती है। वहीं अनावश्यक वार्तालाप करने से यात्रा के महत्व को आप कम कर देते हैं।

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